सीडब्ल्यूसी की बैठक में घमासान : बदलाव की मांग करने वाले नेताओं से राहुल बोले- चिट्ठी भाजपा की मिलीभगत से भेजी; गुलाम नबी आजाद ने कहा- आरोप साबित हुए तो इस्तीफा दे दूंगा, सिब्बल को भी एतराज
2020-Aug-24 /Mon
2020-Aug-24 /Mon
कांग्रेस में बदलाव को लेकर पार्टी के 23 नेताओं की चिट्ठी पर कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में तीखी नोंकझोंक हुई। राहुल गांधी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद व कपिल सिब्बल आमने-सामने आ गए हैं। राहुल ने चिट्ठी की टाइमिंग पर सवाल उठाए और नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि जब सोनिया गांधी हॉस्पिटल में भर्ती थीं, उस वक्त पार्टी लीडरशिप को लेकर लेटर क्यों भेजा गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह चिट्ठी भाजपा की मिलीभगत से भेजी गई।
इस पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर यह आरोप सिद्ध हो गए तो वे पार्टी छोड़ देंगे। उधर, कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर कहा कि पिछले 30 साल में मैंने कभी भाजपा के फेवर में बयान नहीं दिया।
इससे पहले बैठक में सोनिया गांधी ने अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि मुझे रिप्लेस करने की प्रक्रिया शुरू करें। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने उनसे पद पर बने रहने को कहा। बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोनिया गांधी ने रविवार को भी पार्टी के नेताओं से नया अध्यक्ष खोजने को कहा था। राहुल गांधी पहले ही पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। तब सोनिया ने अगस्त में एक साल के लिए अंतरिम अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली।
अपडेट्स
कांग्रेस मुख्यालय के बाहर सोमवार सुबह कार्यकर्ता इकट्ठे हुए और गांधी परिवार के समर्थन में नारेबाजी की।
आखिर बदलाव की मांग क्यों उठ रही?
1. पार्टी का जनाधार कम हो रहा: 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी अध्यक्ष थीं। इस चुनाव में कांग्रेस को अपने इतिहास की सबसे कम 44 सीटें ही मिल सकीं। 2019 के चुनाव के दौरान राहुल गांधी अध्यक्ष थे। पार्टी सिर्फ 52 सीटें ही जीत सकी।
2. कैडर कमजोर हुआ: देश में कांग्रेस का कैडर कमजोर हुआ है। 2010 तक पार्टी के सदस्यों की संख्या जहां चार करोड़ थी, वहीं, अब यह लगभग एक करोड़ से कम रह गई। मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और मणिपुर समेत अन्य राज्यों में कांग्रेस में नेताओं की खींचतान का असर पार्टी के कार्यकर्ताओं पर पड़ा है।
3. कांग्रेस की 6 राज्यों में सरकार: कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, झारखंड और महाराष्ट्र में बची। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत के बाद कमलनाथ की सरकार गिर गई।
अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी में अलग-अलग राय
राहुल के पक्ष में: सलमान खुर्शीद ने रविवार को कहा, 'आंतरिक चुनावों की बजाय सबकी सहमति देखी जानी चाहिए। राहुल को कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन है।' पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी कहा कि फिलहाल गांधी परिवार को ही पार्टी की बागडोर संभालनी चाहिए। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी राहुल गांधी में भरोसा जताया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल को आगे आना चाहिए और पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए।
पार्टी में बदलाव के पक्ष में: गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी और शशि थरूर समेत 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव पर जोर दिया। इन्होंने कहा- लीडरशिप फुल टाइम (पूर्णकालिक) और प्रभावी हो, जो कि फील्ड में एक्टिव रहे। उसका असर भी दिखे। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के चुनाव करवाए जाएं। इंस्टीट्यूशनल लीडरशिप मैकेनिज्म तुरंत बने, ताकि पार्टी में फिर से जोश भरने के लिए गाइडेंस मिल सके। हालांकि, इन्होंने यह नहीं लिखा कि कांग्रेस अध्यक्ष गैर-गांधी परिवार से हो।
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1 | Kanpur | 26 | Moth |
2 | Jhansi | 27 | Mauranipur |
3 | Banda | 28 | Parichha |
4 | Mahoba | 29 | Rath |
5 | Etah | 30 | Babeena |
6 | Unnao | 32 | Kulpahar |
7 | Allahabad | 33 | Malwan |
8 | Orai | 34 | Orchha |
9 | Lalitpur | 35 | Shuklaganj |
10 | Mainpuri | 36 | Gursahay ganj |
11 | Hamirpur | 37 | Tirwa |
12 | Fatehpur | 38 | Bhogaon |
13 | Etawah | 39 | Bindki |
14 | Kannauj | 40 | Sumerpur |
15 | Farrukhabad | 41 | Chirgon |
16 | Jalun | 42 | Roora |
17 | Karvi | 43 | Konch |
18 | Auriya | 44 | Pukharanya |
19 | Manikpur | 45 | Ghatampur |
20 | Talbhet | 46 | Akbarpur |
21 | Achalganj | 47 | Chibramau |
22 | Banther | 48 | Bewar |
23 | Attarra | 49 | Kayamganj |
24 | Kurawali | 50 | Kalpi |
25 | Bharthana | 51 | Maudaha |
26 | Bharuasagar | 52 | Samthar |